हैल्लो गाइज़ । आज हम आपके लिए एक और जानकारी भरा segment लेकर आ गए हैं। आज हम अपने इस लेख के माध्यम से अप सब को मुहावरों के बारे में बताने जा रहे हैं। आज आप जानेंगे कि मुहावरे की परिभाषा क्या है? मुहावरे और लोकोक्ति में अंतर क्या है? साथ ही साथ हम आपसे कुछ प्रचलित मुहावरों के बारे में भी चर्चा करने वाले हैं। आपको आज यह भी जानने को मिलेगा कि मुहावरा का इस्तेमाल कहां किया जाता है? इसकी शुरूआत कब और कैसे हुई?
दोस्तों, सबसे पहले बात कर लेते हैं कि मुहावरे कहते किसे हैं? इसकी परिभाषा क्या है?
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मुहावरे की परिभाषा (Definition of Idioms)
दोस्तों, विशेष अर्थ देने वाले कथन या वाक्यांश को मुहावरा कहा जाता है। जैसे – ‘‘आंखों में धूल झोंकना।’’ इस मुहावरे का meaning है धोखा देना। मान लीजिए कि एक चोर (thief) को पुलिस ने पकड़ लिया। वह उसे लेकर जा ही रही थी कि वह चोर पुलिस को धोखा देकर उनकी गिरफ्त से भाग जाए तो उसे हम कहेंगे कि चोर ने पुलिस की ‘‘आंखों में धूल झोंक’’ दी।
इसका यह मतलब बिलकुल नहीं है कि पुलिस की आंखों में ही चोर ने धूल डाल दी हो। मुहावरे में हम किसी भी बात को एक अलग ढंग से कहते हैं। खास तौर पर बच्चों के लिए तो ये जानना बेहद जरूरी है कि मुहावरा किसे कहते हैं? उनके syllabus से यह जुड़ा होता है और exam में पूछा जाता है। जो युवा किसी भी competitive exam की तैयारी करते हैं उनके लिए भी ये topic बहुत important है। हर competitive exam में मुहावरों से जुड़ा एक प्रश्न (question) तो आता ही है।
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मुहावरे की उत्पत्ति:
दोस्तों, अगर मुहावरे की उत्पत्ति की बात की जाए तो इसकी उत्पत्ति मूलतः अरबी भाषा (Arabic Language) से हुई है। इसका अर्थ होता है बातचीत करना, उत्तर देना या फिर अन्यास करना। अगर प्राचीन समय की बात की जाए तो मुहावरे का अर्थ लोग निकालते थे ‘‘आपस में बातचीत।’’ यानी कि जब हम एक दूसरे से बातचीत करते थे तो उसे ही मुहावरा कहा जाता था।
लेकिन बाद में इसका अर्थ अन्यास करना भी समझा जाने लगा। अरबी लिपी में मुहावरे को मुहावरूर लिखा जाता है। इसे ही हिन्दी भाषा और लिपि में ‘‘मुहावरा’’ लिखते हैं। आपको बता दें कि अंग्रेज़ी भाषा में मुहावरे को ‘‘idioms’’ नाम से जाना जाता है। ये मुहावरे सबसे पहले लेटिन भाषा में प्रयोग किए जाते थे। इसके बाद ये French भाषा में आया। इसके बाद यह धीरे-धीरे अंग्रेजी भाषा के परिवार में भी शामिल हो गया।
साहित्य में मुहावरे के नाम:
दोस्तों, अगर हिन्दी साहित्य पर नजर डाली जाए, तो मुहावरे को केवल मुहावरा ही नहीं कहते। इसे और भी कई नामों से जाना जाता है जैसे महाविरा, मुहाविरा, महावुरा, महावरा आदि रूप भी देखने को मिलते हैं। उर्दू-हिन्दी शब्द कोश में मुहावरे के लिए प्रचलित पर्याय हैं मुहर्रफ, मुहावरत और मुहावरात।
उर्दू में मुहावरा का नाम
उर्दू में मुहावरे को तर्जेकलाम और इस्तलाह भी कहते हैं।
संस्कृत भाषा में मुहावरे का नाम:
दोस्तों, संस्कृत भाषा में भी मुहावरे को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इनमें शामिल हैं वाग्रीति, वाग् व्यापार, वाग्शरा, वाग्व्यवहार, विशिष्ट वचनं, विशिष्ट वाक्यं तथा भाषा-विशेषण आदि।
दोस्तों, किसी न किसी मुहावरे की शुरुआत कभी न कभी हुई होगी। तभी वो आज हम तक पहुंचा है। लेकिन किस मुहावरे की शुरुआत कब और कैसे हुई ये कह पाना वैसा ही है जैसे कि ‘रेत में सुई ढूंढना।’’ मुहावरों का इतिहास बहुत पुराना है।
एक रिसर्च में यह पता चला है कि पूरी दुनिया में किताबों में इकट्ठा किए हुए करीब आठ हजार मुहावरे हैं जो कभी न कभी किसी न किसी सिचुएशन में प्रयोग में लाए जाते हैं। यह भी हो सकता है कि इससे भी ज्यादा मुहावरे हों। मुहावरे एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को विरासत के रूप में दिए जाते हैं। जिस प्रकार एक भाषा में समय के अनुसार कई सारे changes होते रहते हैं। ठीक उसी प्रकार मुहावरों में भी बदलाव होते रहते हैं।
धोबी का कुत्ता, न घर का न घाट का
दोस्तों, आपने ये कहावत तो कई बार सुनी होगी। लेकिन क्या आप इसके पीछे की कहानी जानते हैं कि यह मुहावरा क्यों बना? हुआ यूं कि पहले के जमाने में धोबी जब किसी के भी घर कपड़ा लेने जाया करता था तो वह रास्ते से बांस का टुड्ढा तोड़ लिया करता था। जिससे उन कपड़ों को अच्छी तरह से पीट कर उसका सारा मैल निकाला जा सके।
कुछ किताबों में इसका नाम कोतका बताया गया है। हालांकि कुछ लोग इसी को मोंगरा भी कह देते हैं। तो इसी कोतके को लेकर धोबी किसी के घर से घाट की ओर चल देता था। वहां पर इसी कोतके से कपड़े को खूब पीटता था और उसे साफ कर देता था।
जब उन कपड़ों को लेकर वह धोबी वापस जाने लगता है तो वह उस कोतके यानी बांस के टुकड़े को वहीं झाड़ियों में फेंक दिया करता था। यहीं से शुरूआत हुई इस मुहावरे की। लोगों ने अपनी सहूलियत के हिसाब से कोतके की जगह कुत्ता कहना शुरू कर दिया।
धोबी का वह कोतका न तो घर ले जाने के काबिल था और न ही घाट पर रखने के काबिल। बस उसे तो इस्तेमाल करके फेंक दिया जाता था। असल में यह मुहावरा है ‘‘धोबी का कोत्का, न घर का न घाट का।’’ इसी को अपनी सुविधा के चलते लोगो ने ‘‘कुत्ता’’ कहना शुरू कर दिया था। बाद में इस मुहावरे का यही रूप प्रचलित हो गया।
ये मुहावरा उन लोगों के लिए प्रयोग किया जाता है जो एक काम को छोड़कर दूसरे काम की तलाश में जाता है और वहां पर भी उसे कोई काम नहीं मिलता। या जो लोग किसी राजनीतिक पार्टी में शामिल हैं और वो किसी लालच के कारण दूसरी पार्टी में शामिल होने चले जाते हैं उन्हें वह इज्जत और मान सम्मान नहीं मिलता उनके लिए भी यही मुहावरा प्रयोग किया जाता है। यानी उसे हर जगह ठोकर ही खाने को मिली। उसका कहीं भी ठिकाना नहीं रहा।
मुहावरे का इस्तेमाल क्यों किया जाता है?
दोस्तों, अगर कोई व्यक्ति अपनी बातचीत में बीच-बीच में मुहावरों का इस्तेमाल करे तो उस व्यक्ति को बुद्धिमान समझा जाता है। ऐसा समझा जाता है कि उस व्यक्ति की अपनी भाषा पर बहुत अच्छी पकड़ है।
उदाहरण: (Example)
मान लीजिए मोहन अपने पड़ोस की लड़की सीमा (काल्पनिक नाम) को पसंद करता है। चौधरी जी का मोहन से अच्छा संबंध है। मोहन अपने दोस्त चौधरी जी को कहता है कि उस लड़की पर मैं ‘‘दिल हार बैठा हूं।’’ इसका मतलब है वह सीमा से प्यार करने लगा है।
या मान लें कि आपका एग्जाम होने वाला है। आप उस एग्जाम में किसी सवाल को लेकर दुविधा में हैं कि यह सवाल परीक्षा में आएगा या नहीं। इसे याद करना चाहिए या नहीं, तभी आपका दोस्त आपसे कहा ‘‘लगा तो तीर नहीं तो तुक्का।’’
यानी इसे याद कर लो ये इतना मुश्किल भी नहीं है। हो सकता है यह परीक्षा में पूछ ही लिया जाए। न पूछा जाए तो हमारी किस्मत। अब इन दोनों ही बातों को आसानी से भी कहा जा सकता था। लेकिन उसमें उतना रस नहीं रह जाता। जितना आनंद मुहावरों को इस्तेमाल करके किसी बात को समझाने में आता है उतना साधारण भाषा में नहीं आता है।
मुहावरों का विश्लेषण:
- हिन्दी के अधिकतर मुहावरे शरीर के अंगों पर ही आधारित हैं। जिसमें आंख, कान, छाती, दांत, सिर, कमर, पैर, हाथ, नाक आदि शामिल हैं। उदाहरण के तौर पर – आंखों का तारा, सिर आँखों पर रखना, दांतों तले उंगली दबाना, दांत पीसना, नाक कटना, हाथ साफ करना, अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना, छाती पर मूँग दलना, कमर कसना, पैर पटकना, गर्दन झुकाना, हाथ उठाना आदि।
- एक कड़ी ऐसे मुहावरों की भी है जो विभिन्न पशु-पक्षियों, जंतुओं पर आधारित हैं। उदाहरण: गधा बनाना, बैल की तरह जुतना, कोल्हू का बैल, बाज की तरह झपटना, कीड़ा बनना, मगरमच्छ के आंसू बहाना, घड़ियाली आंसू बहाना आदि।
- कुछ मुहावरे ऐसे भी होते हैं जो कि हमारे दैनिक जीवन से जुड़े रिश्तों पर आधारित होते हैं यानी मामा, बाप, चाचा, दादा आदि। उदाहरण: बाप निकलना, मामू बनाना, मौसी का घर आदि।
- कुछ मुहावरे किसी प्रसिद्ध व्यक्ति, किसी देवता, स्थान तथा पदार्थ पर भी आधारित पाए जाते हैं। जैसे – हनुमान की गदा, गांधी के रास्ते पर चलना, हिटलरशाही, नर्क में जाना, मिट्टी में मिलना, लोहा लेना आदि।
- इसी प्रकार कुछ मुहावरे संख्याओं से भी बनाए गए हैं। जिनका हम आम बोलचाल के दौरान अक्सर प्रयोग करते हैं। उदाहरण: एक और एक ग्यारह होना, नौ दो ग्यारह होना, तीन-तेरह करना, तिया-पांचा करना, चार-सौ-बीसी करना, आठ-आठ आंसू रोना, दस घाट का पानी पीना आदि।
- साथ ही कुछ ऐसे मुहावरे भी हैं जो प्रथाओं पर निर्भर करते हैं। जैसे – बीड़ा उठाना या ठेका लेना।
- अस्पष्ट ध्वनियों पर आधारित भी कई सारे मुहावरे हैं। जैसे जब हम खुश होते हैं तो आह-हा, वाह-वाह करते हैं। यह भी एक मुहावरा ही है। दुःख में जब हम होते हैं तो उसके लिए है आह निकलना, सी-सी करना, हाय-हाय मचाना।
- जब हम क्रोध में होते हैं तो हमारे मुंह से ये मुहावरे जरूर निकलते हैं: उह-हूं करना, धत तेरे की।
- जब हम किसी व्यक्ति या वस्तु से घृणा करते हैं तो हमारे मुंह से जो शब्द निकलते हैं वो हैं ‘‘छी-छी करना’’, ‘‘थू-थू करना’’
- इसके अलावा कुछ मुहावरे ऐसे भी होते हैं जिनमें एक शब्द हिन्दी का होता है तो दूसरा शब्द उर्दू का होता है। उदाहरण देखिए : मेल मोहब्बत करना, मेल-मुलाकात रखना, दिशा-मैदान जाना आदि।
- सृष्टि की ध्वनियों के आधार पर भी कुछ मुहावरे बन गए हैं। जैसे – टर-टर करना, सांय-सांय करना, भों-भों करना, बकरी की तरह मैं-मैं करना आदि।
- पक्षी और कीट पतंगों की ध्वनियों पर आधारित मुहावरे भी प्रचलन में हैं। जैसे – कांव-कांव करना, भिन्ना जाना आदि।
- कुछ मुहावरे संज्ञा को मिलाकर बनाए गए होते हैं। जैसे – रोजी-रोटी, नदी-नाला, दवा-दारू, कपड़ा-लत्ता, गाजर-मूली, भोजन-वस्त्र आदि।
मुहावरे और लोकोक्ति में अंतर: (Difference between Idioms and Phrases)
मुहावरे में उद्देश्य और विधेय नहीं होता है जबकि लोकोक्ति में उद्देश्य और विधेय दोनों होते हैं। मुहावरे का उदाहरण: हाथ फैलाना। लोकोक्ति का उदाहरण: चोर की दाढ़ी में तिनका।
अगा किसी वाक्य के अंत की क्रिया में न जुड़ा हो तो वह मुहावरा होता है जैसे कलम तोड़ना, उलटी गंगा बहना, कमर कसना, नाक कट जाना। तो वहीं दूसरी ओर, लोकोक्ति में अंत में न नहीं जुड़ा होता है। जैसे – अधजल गगरी छलकत जाय, एक अनार सौ बीमार आदि।
निष्कर्ष: (Conclusion)
तो दोस्तों, आज के इस लेख में आपको हमने बहुत ही गहराई में मुहावरों का मतलब समझाया। साथ ही आपको यह भी बताया कि मुहावरे और लोकोक्ति में क्या अंतर होता है। आपको यह भी जानने को मिला कि ‘‘धोबी का कुत्ता घर का न घाट का’’ मुहावरे की शुरुआत कैसे हुई।
अब आपको यह भी मालूम चल गया होगा कि मुहावरों का प्रयोग कहां पर और क्यों किया जाता है। अगर आपको हमारा ये लेख पसंद आया हो तो लाइक, कमेंट और शेयर करना न भूलें। धन्यवाद।