दोस्तों, शायद ही आप में से ऐसा कोई हो जिसने दालचीनी का नाम ना सुना हो या फिर उसे किसी न किसी रूप में इस्तेमाल न किया हो। दालचीनी एक ऐसी प्राकृतिक औषधी है जिसका इस्तेमाल हर किसी को करना चाहिए। यह हर भारतीय घरों के किचन में पाई जाती है। दोस्तों, दालचीनी के फायदों की फेहरिस्त बहुत लंबी है।
आज हम आपको इसी जादूई औषधी के बारे में detail में समझाने जा रहे हैं। दालचीनी के फायदों पर आयुर्वेद और विज्ञान दोनों ही मुहर लगा चुके हैं। काफी लंबे समय से इसका use भारतीय रसोई में किया जाता रहा है। कुछ लोग चाय में भी दालचीनी डाल कर पीते हैं।
बहुत से ऐसे लोग हैं जो दालचीनी को काढ़े में डालकर पीते हैं। दालचीनी एक सूखी लकड़ी होती है जो हमारे शरीर के लिए काफी ज़्यादा फायदेमंद है। जो लोग दालचीनी का प्रयोग करते हैं वो इसके फायदे बताते हुए नहीं थकते। अगर विज्ञान की मानें तो लौंग के बाद दालचीनी अकेला ऐसा मसाला है जिसमें अधिक मात्रा में antioxidants होते हैं। अगर खाने में चुटकी भर दालचीनी का powder डाल दिया जाए तो खाने का taste और भी बढ़ जाता है।
आज हम आपको दालचीनी से जुड़े कुछ ऐसे facts के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके बारे में आपने शायद ही पहले कभी सुना हो। अगर आप दालचीनी के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो हमारा ये article last तक जरूर पढ़ें।
दालचीनी क्या है ? (What is Cinnamon)
दालचीनी के बारे में डीटेल नाॅलेज लने से पहले यह जान लीजिए कि दालचीनी होती क्या है? दालचीनी को ही english में cinnamon कहा जाता है। दालचीनी एक विशेष प्रकार का मसाला होता है जो विभिन्न प्रकार के खाने में रंग देने तथा खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए हर भारतीय रसोई में use किया जाता है।
इतना ही नहीं, दालचीनी का प्रयोग करके बहुत सारी medicines भी बनाई जाती हैं। देखा जाए तो, दालचीनी की छाल बहुत ही ज़्यादा पतली एवं खुशबूदार होती है। दालचीनी के फूल हरे या फिर सफेद रंग के होते हैं और एक खास बात, ये बहुत ही ज़्यादा छोटे होते हैं।
शायद आप में से कम ही लोग ये जानते होंगे कि दालचीनी का साइंटिफिक नेम सिनामोमम वेरम होता है। ट्रू सिनेमन ट्री दालचीनी के पेड़ का ही एक नाम है। यह पेड़ लैरेसिई परिवार से संबंध रखता है। क्या आप जानते हैं दालचीनी कैसे तैयार की जाती है? दालचीनी को तैयार करने के लिए पेड़ की छाल को निकाल कर सुखा दिया जाता है। जब यह सूख जाती है तो किसी गोल और लंबी डंडी के जैसी हो जाती है। यही होती है दालचीनी।
दोस्तों, दालचीनी का इतिहास बहुत ही ज़्यादा प्राचीन है और हैरान कर देने वाला भी। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि वास्को डी गामा एवं किस्टोफर कोलंबस ने अपनी यात्रा दालचीनी की खोज के लिए ही शुरू की थी। बताते चलें कि सबसे पहले दालचीनी की खोज श्रीलंका में हुई थी।
इतिहासकार मानते हैं कि दालचीनी का प्रयोग सबसे पहले 2000 से 5000 ई.पू. में ही किया गया था। दालचीनी की तासरी बहुत ही अधिक गर्म होती है दोस्तों। यही कारण है कि डाॅक्टर इसका सेवन केवल सीमित मात्रा में ही करने की सलाह देते हैं।
वात एवं कफ से संबंधित रोगों में दालचीनी के जबरदस्त फायदे देखने को मिलते हैं। ऐसे लोग जिनकी तासीर गर्म होती है उन्हें बहुत सावधानी के साथ दालचीनी का उपयोग करना चाहिए।
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दालचीनी के पेड़ की पहचान
अब जरा ये भी जान लें कि दालचीनी का पेड़ कैसा होता है? दोस्तों, दालचीनी का पेड़ सबसे पहले श्रीलंका में ही पाया गया था। लंबाई की बात करें तो इसकी लंबाई होती है करीब 18 मीटर। इस पेड़ की छाल से ही दालचीनी बनती है। इस छाल का रंग लाल होता है। सूख जाने पर इसकी छाल गोल हो जाती है। अगर हम दालचीनी के फलों को तोड़कर देखें तो उसमें से तारपीन जैसी महक आती है। अगर कोई व्यकित दालचीनी की पत्तियों को अपने हाथों में लेकर मसले तो उसे बहुत तेज़ और तीखी महक आएगी।
दालचीनी के अलग अलग भाषाओं में नाम (Name of Dalchini in Different languages )
दोस्तों, मराठी भाषा में दालचीनी को हम दालचीनी ही कहते हैं। बात करें बंगाली भाषा की तो इसमें दालचीनी को दारुचीनी कहते हैं। सुनने में थोड़ा अजीब है लेकिन ये सच है।
दारुसिता, चोचम, तनुत्वक्, उत्कट आदि दालचीनी के संस्कृत भाषा में नाम हैं। कन्नड़ भाषा में दालचीनी को लवंग चक्के, तेजदालचीनी कहा जात है। गुजराती भाषा में दालचीनी को तज भी कह दिया जाता है। पंजाबी में इसे कहते हैं दाचीनी और किरफा। इंगलिश में इसे सीलोन सीनामोन भी कह दिया जाता है। उर्दू भाषा में दालचीनी को दारचीनी कहते हैं। उरिया भाषा में दालचीनी को बोलते हैं दालोचीनी, दारूचीनी। तमिल भाषा में दालचीनी को लवंग पत्तै कहा जाता है। तेलगू में लवंगमु कहते हैं। मल्यालम भाषा में दालचीनी को एरिकोलम और वरनम कहते हैं।
दालचीनी के प्रकार (Types of Cinnamon)

आइए अब एक नजर दालचीनी के प्रकार पर भी डाल लेते हैं।
आप में से बहुत से ऐसे व्यक्ति होंगे जिन्हें इस बात का जरा सा भी अंदाजा नहीं होगा कि दालचीनी केवल एक प्रकार की नहीं, विभिन्न प्रकार की पाई जाती है। मुख्य तौर पर दालचीनी चार प्रकार की पाई जाती है।
- कैसिया दालचीनी (जंगली या चाइनीज दालचीनी)
- कोरंटजे दालचीनी (इंडोनेशियाई दालचीनी)
- सीलोन दालचीनी (मैक्सिकन दालचीनी)
- साइगॉन दालचीनी (वियतनामी दालचीनी)
अब हम आपको बताने जा रहे हैं इन चार प्रकार के दालचीनी के बारे में।
कैसिया दालचीनी
दोस्तों, कैसिया दालचीनी को ही जंगली या फिर Chineese दालचीनी के नाम से भी जाना जाता है। प्रमुख रूप से इसकी खेती दक्षिणी चीन में ही की जाती है। यही कारण है कि इसका ये नाम पड़ा। हालांकि यह खाने में ज़्यादा स्वादिष्ट नहीं होती है। इसकी छाल भी बहुत अधिक मोटी होती है। यह थोड़ी सी खुरदरी भी होती है। इस कारण इसे पीसने में काफी मुश्किल होती है। बहुत सी दवाओं को बनाने में कैसिया दालचीनी का प्रयोग किया जाता है।
सीलोन दालचीनी
सीलोन दालचीनी को ही Mexican दालचीनी के नाम से भी जाना जाता है। सीलोन दालचीनी का production सबसे ज़्यादा अगर कहीं होता है तो वो है श्रीलंका में। रेतीली मिट्टी में इसका उत्पादन सबसे ज़्यादा अच्छे से होता है। सीलोन दालचीनी में coumarin की मात्रा बहुत ही कम होती है। सीलोन दालचीनी के इसी गुण के कारण इसका प्रयोग सबसे ज़्यादा किया जाता है। क्योंकि इसकी demand ज़्यादा है इसीलिए ये दालचीनी बाजार में महंगी मिलती है।
साइगॉन दालचीनी
अब बारी आती है साइगाॅन दालचीनी की। साईगाॅन दालचीनी को ही वियतनाम दालचीनी के नाम से भी जानते हैं। एक तो ये बाकी अन्य प्रकार की दालचीनी से महंगी है, दूसरे ये उनसे काफी अलग भी है। इसकी खुशबू और स्वाद तो ऐसा है कि सभी को पल भर में अपना दीवाना बना दे। वियतनाम के पहाड़ी जंगलों में साइगाॅन दालचीनी सबसे अधिक मात्रा में पाई जाती है। इसमें सबसे best quality की छाल क्विंग एनगई प्रांत से निकलती है। साइगाॅन दालचीनी को बसंत ऋतु के दौरान ही काटा जाता है।
कोरंटजे दालचीनी
अब last but not the least कोरंटजे दालचीनी की भी बात कर ली जाए। यह दालचीनी पूरे विश्व में इंडोनेशियाई दालचीनी के नाम से पहचानी जाती है। इंडोनेशिया ही ऐसा देश है जो दुनिया में दालचीनी की मांग का 70 प्रतिशत भाग की पूर्ति करता है।
इस प्रकार की दालचीनी का use cookies, cake, curry, chutney, sup को बनाने के लिए किया जाता है। हो सकता है यह बाकी दालचीनी के मुकाबले आपको कम दाम पर मिल जाए। भारत में इस दालचीनी का उपयोग बहुत ही कम किया जाता है।
Friends, अब जान लीजिए कि इसकी माकेर्ट में आज के समय में कीमत क्या है? अगर आप दालचीनी की छाल को मार्केट में खरीदने जाएंगे तो यह आपको 552 रुपए किलो तक मिल जाएगी। हालांकि अगर आप online से इसकी shoping करेंगे तो इसकी कीमत वहां पर घटती और बढ़ती रहती है। 100 ग्राम दालचीनी पाउडर आपको बाजार से 145 रुपए में मिल जाएगा।
दालचीनी के फायदे (Benefits of Cinnamon)

दोस्तों, दालचीनी का प्रयोग वैसे तो ज़्यादातर kitchen में ही किया जाता है। लेकिन ये हमारी body के लिए काफी ज़्यादा इफेक्टिव है। आइए अब आपको बताते हैं कि दालचीनी का सेवन करने से हमें किन किन बीमारियों में फायदा पहुंच सकता है?
HIV में
दोस्तों, आपने एचआईवी के बारे में तो सुना ही होगा। ये बहुत ही खतरनाक बीमारी है। जो लोग HIV से संक्रमित हो जाते हैं उनके लिए जीवन जीना काफी ज़्यादा मुश्किल हो जाता है। वैसे तो इन मरीजों के लिए doctor से इलाज करवाना ही सही रहता है, लेकिन अभी हाल ही में एक शोध से ये पता चला है कि Anti-HIV गतिविधि वाले तत्व दालचीनी में छुपे होते हैं। दालचीनी में मौजूद होता है प्रोजोनिडिन पाॅलीफेनोल नाम का तत्व जो हमारे शरीर में HIV के virus को फैलने से रोक देता है।
1. वजन कम करने में सहायक (Helpful in weight loss)
आज के समय में इस तनाव पूर्ण माहौल में वनज बढ़ना एक गंभीर समस्या बन गया है। पूरी दुनिया में बहुत से ऐसे लोग हैं जो किसी न किसी कारण से मोटापे का शिकार हुए हैं। लेकिन दोस्तों, अगर आप दालचीनी का इस्तेमाल करते हैं तो आपको वजन कम करने में काफी हद तक मदद मिल सकती है।
ऐसा इसलिए क्योंकि दालचीनी के अंदर भरपूर मात्रा में Antioxidants पाया जाता है जिसका नाम है पाॅलीफेनाॅल्स। इसका काम है आपके शरीर में insulin की मात्रा को बढ़ाना। मोटापा और डायबिटीज़ होने का मुख्य कारण है शरीर में insulin की प्राॅपर मात्रा होना। insulin की मदद से ही हमारे खून में मौजूद glucose नियंत्रित होता है। इतना ही नहीं, जो महिलाएं पाॅलीसिस्टिक डिंबग्रंथि रोग से पीड़ित हैं उन्हें भी इसका सेवन करना चाहिए। ऐसी महिलाओं के लिए भी दालचीनी का प्रयोग करना लाभदायक है।
2. दालचीनी है एंटीऑक्सीडेंट
जैसा कि आप जानते हैं कि इन दिनों Corona काल चल रहा है। ऐसे समय में मसालों का उपयोग बहुत अधिक किया जा रहा है। इन्हीं में से एक है दालचीनी। अभी हाल ही में 26 मसालों पर हुई research से यह पता चला है कि इनमें से सबसे ज़्यादा antioxidants दालचीनी में ही पाए गए हैं।
3. दिल के लिए लाभदायक है दालचीनी
ये लोग दिल की बीमारी से पीड़ित हैं उनके लिए दालचीनी का सेवन करना बेहद जरूरी है। दालचीनी के सवन से दिल से संबंधित किसी भी प्रकार की बीमारी चुटकियों में दूर हो जाती है। इसके अलावा जिन लोगों का कोलेस्ट्राॅल काफी बढ़ा हुआ है उन्हें भी दालचीनी का regularly use करना चाहिए।
अभी हाल ही की research में ये बात साबित हो गई है कि जो लोग रोजाना छ: से सात gram दालचीनी का सेवन करते हैं उन्हें cholesterol की शिकायत नहीं रहती है। दालचीनी heart से संबंधित रोगों को रोकने में पूरी तरह से सक्षम है।
4. कैंसर से करे बचाव
Friends। जो लोग किसी भी प्रकार के cancer से जूझ रहे हैं वो दालचीनी का रोजाना सेवन करेंगे तो cancer से जल्दी ही मुक्त हो सकते हें। दालचीनी का सेवन करने से skin cancer के रोगी भी ठीक हो जाते हैं। दालचीनी के अंदर anti inflammatory, antioxidants आदि गुण पाए जाते हैं जो cancer को शरीर में फैलने से रोकने में सहायक होते हैं।
5. सूजन को करे कम
एक शोध में यह पाया गया है कि दालचीनी का लगातार इस्तेमाल करने से आपके body में किसी भी वजह से आई सूजन भी दूर हो जाती है। दालचीनी में बहुत अधिक मात्रा में anti inflammatory गुण पाए जाते हैं जो हमारी body के किसी भी part में आई swelling को जल्दी से जल्दी दूर कर देती है। आप चाहें तो सूजन को कम करने के लिए दालचीनी के पानी या फिर दालचीनी के अर्क का भी सेवन कर सकते हैं।
6. डायबिटीज से बचाव में लाभदायक
जो मरीज लंबे समय से Diabetes यानी मधुमेह से पीड़ित हैं उन्हें भी इसका सेवन लगातार करना चाहिए। इसका सेवन करने से Diabetes से बचना संभव है। शोध में पाया गया है कि दालचीनी में एंटी Diabetes गुण पाए जाते हैं जो शरीर में इंसुलिन की मात्रा को balance करने में मदद करते हैं जिससे मधुमेह का खतरा नहीं रहता है।
7. बालों के लिए लाभदायक
Tension और अन्य कारणों से आज बहुत से लोग गंजेपन का शिकार हो गए हैं। ऐसे लोगों को समज में हंसी का पात्र बनना पड़ता है। अगर आप Hair fall या फिर गंजेपन की समस्या से परेशान हैं तो आपको daily दालचीनी का पेस्ट अपने सिर में लगाना काफी ज़्यादा लाभदायक साबित हो सकता है। आपके बाल झड़ना तुरंत बंद हो जाएंगे।
8. फंगल इंफेक्शन रोकने में कारगर
जिन लोगों को fungal infection की problem है वे लोग दालचीनी का निश्चित तौर पर उपयोग करें। दालचीनी पर की गई कई प्रकार की research से यह पता चला है कि दालचीनी के अंदर anti fungal गुण मौजूद हैं। इसके लिए आप दालचीनी के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
9. त्वचा के लिए लाभदायक
Friends, ऐसे बहुत से products market में available हैं जिन्हें बनाने में दालचीनी का सबसे ज़्यादा प्रयोग किया गया है। अगर आपको pimples की शिकायत है तो ये आपके लिए रामबाण है। इसमें मौजूद अन्य गुण हमारी स्किन में पाए जाने वाले कोलेजन को नष्ट नहीं होने देते।
साथ ही दालचीनी का प्रयोग करने से आपकी skin में flexibility बरकरार रहती है। इसके अलावा दालचीनी महिलाओं को मासिक धर्म (Periods) से संबंधित समस्या से निजात दिलाने में भी मदद करती है। जिन्हें पेट से संबंधित कोई समस्या है वो भी दालचीनी का प्रयोग करें। उनकी ये समस्या भी दूर हो जाएगी।
दालचीनी के नुक्सान (Side effects of Cinnamon)
- दोस्तों, दालचीनी के अधिक सेवन से आपको पेट संबंधी रोग हो सकते हैं।
- अगर आप दालचीनी का सेवन ज़्यादा मात्रा में करते हैं तो आपके शरीर में ग्लूकोस की मात्रा कम हो जाती है।
- दालचीनी के सेवन से कुछ लोगों को एनर्जी की कमी भी महसूस हो सकती है।
- जो लोग लीवर से संबंधित किसी बीमारी से जूझ रहे हैं तो उनके लिए बेहतर यही होगा कि वे डाॅक्टर की सलाह से ही इसका सेवन करें।
- ज़्यादा ही दालचीनी का सेवन करने से आपको एलर्जी भी हो सकती है।
- गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को दालचीनी का सेवन बिलकुल नहीं करना चाहिए।
- जो लोग खून को पतला करने की दवाई ले रहे हैं वे इसका सेवन न करें।
निष्कर्ष : Conclusion
दोस्तों, आज आपने जाना कि दालचीनी किसे कहते हैं? इसके कितने प्रकार हैं। ये कहां पाई जाती है। दालचीनी के विशेष गुणों और नुकसान के बारे में भी हमने आपको जानकारी दी। आपको हमारा ये लेख अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों के साथ share जरूर करें।